नई दिल्ली। बीते 5 साल में आतंकवादियों ने उतने भारतीयों की जान नहीं ली, जितनी सड़कों पर बने गड्ढों ने ली है। ये जानकारी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक रिपोर्ट से सामने आई है।
पूर्व जस्टिस के.एस. राधाकृष्णन की अगुवाई वाली कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक बीते 5 साल में सड़कों पर बने गड्ढों की वजह से करीब 15 हजार लोगों को जान गंवानी पड़ी। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि भारत में सड़कों का रखरखाव ठीक नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इस रिपोर्ट पर हैरत जताई और कहा कि जितने जवान सीमा पर शहीद नहीं होते और आतंकवाद में जितने लोग नहीं मारे जाते, उतने अगर सड़कों पर गड्ढों की वजह से मर रहे हैं, तो ये चिंता की बात है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानी एनएचएआई के आंकड़े कहते हैं कि सड़कों पर गड्ढों की वजह से मौतों के मामले में यूपी टॉप पर है। यूपी में बीते 5 साल में सड़कों पर गड्ढों ने 987 लोगों की जान ले ली। यूपी के बाद जान गंवाने वालों की संख्या के लिहाज से हरियाणा दूसरे और गुजरात तीसरे नंबर पर रहा। देश की राजधानी दिल्ली में साल 2017 में सड़कों के गड्ढों ने 8 लोगों को मौत की नींद सुला दिया। जबकि, 2016 तक यहां सड़कों पर गड्ढों की वजह से किसी की मौत नहीं हुई थी।
एनएचएआई के आंकड़ों को देते हुए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल रिपोर्ट में जस्टिस के.एस. राधाकृष्णन ने कहा है कि देशभर में साल 2017 के दौरान इन गड्ढों की वजह से औसतन हर दिन 10 लोगों के हिसाब से 3 हजार 597 लोगों ने जान गंवा दी। ये संख्या 2016 के मुकाबले 50 फीसदी ज्यादा है।