नई दिल्ली। पर्यावरण बचाने को लेकर चेतना बढ़ रही है। इसी कड़ी में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी यानी एसजीपीसी और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी यानी डीएसजीपीसी ने गुरुद्वारों में सौर ऊर्जा प्लांट लगाए थे। अब डीएसजीपीसी ने दिल्ली के सभी गुरुद्वारों में बायोगैस प्लांट लगाने का फैसला किया है।
बायोगैस को कूड़े-कचरे से बनाया जाता है और ये पर्यावरण को बचाने में काफी मदद करता है। इससे प्रदूषण नहीं होता और ग्रीनहाउस गैसों को कम करने में मदद मिलती है। खास बात ये कि रोज निकलने वाले कचरे से बायोगैस बनाई जा सकती है।
हर दिन दिल्ली के गुरुद्वारों में आने वाले श्रद्धालुओं को गुरु का लंगर छकाया जाता है। इसमें हर रोज 30 हजार श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। अब तक लंगर के लिए भोजन एलपीजी से बनता है। ये महंगा भी है और पर्यावरण के अनुकूल भी बायोगैस जितना नहीं होता है।
डीएसजीपीसी ने इसे देखते हुए बची हुई सब्जी, फलों के छिलकों और लंगर के बचे खाने को हर रोज बायोगैस प्लांट में डालकर खाना पकाने का फैसला किया है। जल्दी ही दिल्ली के गुरुद्वारों में लंगर के लिए बायोगैस प्लांट लगने जा रहे हैं।
अब तक दिल्ली के गुरुद्वारों में आईजीएल की तरफ से पाइप्ड नैचुरल गैस की सप्लाई की जाती है। साथ ही कई गुरुद्वारों में एलपीजी सिलेंडर इस्तेमाल होते हैं। बायोगैस के इस्तेमाल से कार्बन उत्सर्जन कम होगा और ये सस्ता भी पड़ेगा। फिलहाल इसकी शुरुआत गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब और गुरुद्वारा बंगला साहिब में की जा रही है। दोनों गुरुद्वारों में बाकी गुरुद्वारों के मुकाबले हर रोज ज्यादा कूड़ा निकलता है।
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