नई दिल्ली। देश के सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील स्कीम के तहत बच्चों के खाने में बॉइल्ड अंडे शामिल होना चाहिए। लेकिन बीजेपी शसित राज्यों में बच्चों के खाने में बॉइल्ड अंडे नहीं दिए जा रहे हैं। हाल ही में एक रिसर्च में ये बात सामने आई है।
स्वाति नारायण नाम की एक रिसर्चर ने 8 जुलाई 2018 को एक रिसर्च पेश की थी। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 19 में से 14 बीजेपी शसित राज्यों में आगनवाड़ी और सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील में बच्चों को खाने में बॉइल्ड अंडे नहीं जा रहे हैं।
इस रिसर्च को देखते हुए इंडिया स्पेंड नाम की वेबसाइट ने एक रिपोर्ट तैयार की। जिसमें उन्होंने बताया कि भारत के 10 राज्यों में बच्चों को बहुत कम पौष्टिक खाना दिया जा रहा है। इन राज्यों में बिहार, झारखंड और कर्नाटक शामिल है।
बीजेपी शसित राज्यों के अलावा पंजाब, दिल्ली और मिजोरम में भी बच्चों को मिड-डे मिल में बॉइल्ड अंडे नहीं दिए जा रहे हैं। पुणे के आशाकिरण हॉस्पिटल की डॉक्टर मानसी पाटिल का कहना है कि अंडे खाने के बहुत फायदे हैं। इससे बच्चों का दिमाग भी तेज होता है।
सबसे पहले अंडे को 1989 में तमिलनाडु के सरकारी स्कूलों के मिड-डे-मील में शामिल किया था। उस समय वहां द्रविड़ मुनेत्र कझागम की सरकार थी।
गुजरात के मिड-डे मील के कमिश्ननर आरजी त्रिवेदी का कहना है कि गुजरात में ज्यादातर लोग शाकाहारी हैं इसलिए यहां बच्चों को अंडे नहीं दिए जाते हैं। जांच में सामने आया कि हिमाचल प्रदेश में भी ज्यादातर लोग शाकाहारी हैं इसलिए वहां बच्चों को अंडा नहीं दिया जा रहा है।