नई दिल्ली। कच्चे तेल की कीमतें आसमान छूने से केंद्र की मोदी सरकार चिंता में डूब गई है। हर रोज बढ़ते-बढ़ते कच्चे तेल की कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल से भी ज्यादा हो गई है। ऐसे में सरकार ने पेट्रोलियम कंपनियों से गुजारिश की है कि वे कीमतों में बढ़ोतरी न करें।
कितनी हुई कच्चे तेल की कीमत
कच्चे तेल की कीमत फिलहाल 69 डॉलर प्रति बैरल चल रही है। ब्रेंट क्रूड की कीमत भी 60 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा हैं। ओपेक यानी कच्चे तेल का उत्पादन करने वाले देशों ने सऊदी अरब के नेतृत्व में बीते दिनों उत्पादन घटाने का फैसला किया था, जिसके बाद कच्चे तेल की कीमतों में जबरदस्त उछाल आ रहा है।
मोदी सरकार की तेल कंपनियों से गुजारिश
कच्चे तेल की लगातार बढ़ती कीमतों की वजह से पेट्रोलियम कंपनियां रोज पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ा रही हैं। पेट्रोल की कीमत मुंबई में तो 80 रुपए प्रति लीटर तक जा पहुंची है। दिल्ली और अन्य जगह इसकी कीमत 75 रुपए के आसपास है। इसी तरह डीजल भी 57 रुपए प्रति लीटर और इससे ज्यादा हो गया है। पेट्रोलियम उत्पाद खासकर डीजल की कीमत में बढ़ोतरी की वजह से महंगाई बढ़ने की आशंका है। इसे देखते हुए मोदी सरकार ने पेट्रोलियम कंपनियों से कीमतों में ज्यादा बढ़ोतरी न करने की गुजारिश की है।
क्यों महंगा होता है पेट्रोल
बता दें कि फिलहाल एक लीटर पेट्रोल पेट्रोल पंप पर 35 रुपए के आसपास पहुंचता है। इस पर केंद्र सरकार करीब 20 रुपए एक्साइज टैक्स लगाती है। फिर करीब पौने 4 रुपए का डीलर कमीशन लगता है। फिर राज्य सरकारें इस कीमत पर वैट लगाती हैं। इस वजह से पेट्रोल की कीमत में इजाफा होता है। केंद्र सरकार एक्साइज टैक्स कम करने की गुजारिश मान नहीं रही है। वो राज्यों से कहती रहती है कि वो आम आदमी को राहत देने के लिए वैट पर छूट दें। राज्य वैट कम नहीं करते क्योंकि इससे उनकी आमदनी कम हो जाएगी। ऐसे में पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं।