नई दिल्ली। आने वाले दिनों में बांस से गाड़ियां चलेंगी। सुनकर आप हैरत में पड़ गए होंगे। आखिर बांस से किस तरह गाड़ियां चलेंगी ? ये सवाल आपके जेहन में तैर रहा होगा, लेकिन तकनीकी की बदौलत ये हकीकत में तब्दील होने जा रहा है।
बांस से एथनॉल निकाला जाएगा
असम की नुमालीगढ़ ऑयल रिफाइनरी ने बांस से एथनॉल निकालने के लिए फिनलैंड की मशहूर कंपनी केमपॉलिस ओवाई से समझौता किया है। बिल्कुल गन्ने की तरह बांस की पेराई करके उससे एथनॉल निकालने और फिर उसे पेट्रोल में मिलाने का काम फिनलैंड की कंपनी करेगी।
पूर्वोत्तर में बांस की है अधिकता
बता दें कि पूर्वोत्तर के राज्यों में काफी बड़ी तादाद में बांस पाया जाता है। आठ राज्यों में भारत के कुल बांस का दो-तिहाई उत्पादन होता है। अनुमान है कि बांस को पेरकर हर साल 6 करोड़ लीटर एथनॉल हर साल मिलेगा। पूरे पूर्वोत्तर में पेट्रोल वाली गाड़ियों को एथनॉल मिक्स ईंधन के इस्तेमाल से चलाया जा सकेगा।
अभी पेट्रोल में कितना मिलाया जाता है एथनॉल ?
फिलहाल पेट्रोलियम कंपनियां सिर्फ 2.1 फीसदी उत्पादित पेट्रोल में एथनॉल मिलाती हैं। डीजल में भी काफी कम मात्रा में बायोडीजल मिलाया जाता है। इस साल एथनॉल और बायोडीजल को पांच-पांच फीसदी पेट्रोल और डीजल में मिलाया जाना तय किया गया है।