- कंपनी के मालिक ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर 7 बैंकों को लगाया चूना
- सीबीआई ने विक्रम कोठारी समेत अन्य आरोपियों के पासपोर्ट कब्जे में लिये
नई दिल्ली/कानपुर। नीरव मोदी के बाद रोटोमैक घोटाले के राज भी एक-एक कर खुलकर सामने आने लगे हैं। सीबीआई की शुरुआती जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि रोटोमैक ने फर्जी कागजात के आधार पर बैंकों से सैकड़ों करोड़ रुपए कर्ज लेकर उसे चूना लगाने का काम किया। रोटोमैक ने विभिन्न बैंकों से 2,919 करोड़ रुपए का कर्ज लिया, जो ब्याज के साथ अब 3,695 करोड़ रुपए हो गया है। उधर, रोटोमैक के मालिक विक्रम कोठारी से सीबीआई की पूछताछ मंगलवार को भी जारी है। सीबीआई ने विक्रम कोठारी समेत अन्य आरोपियों के पासपोर्ट भी अपने कब्जे में ले लिये हैं।
आयात-निर्यात के नाम पर एडवांस में लिया लोन
रोटोमैक ने बैंकों से हजारों करोड़ रुपए का लोन विदेश से आयात और निर्यात के नाम पर एडवांस में लिया, जबकि कंपनी विदेश से कुछ भी आयात नहीं करती थी। कंपनी ने आयात के साथ निर्यात का ऑर्डर दिखाकर भी बैंकों से लोन लिया। इसके लिए उसने फर्जी कंपनी का सहारा लिया। इन फर्जी कंपनियों के जरिए अपने एकाउंट में पैसा ट्रांसफर कर देती थी। यह सिलसिला 2008 से जारी था। भारत और दूसरे देशों में ब्याज दर में अंतर के आधार पर निवेश कर भी कमाई की जाती थी। सीबीआई प्रवक्ता के मुताबिक, बैंक ऑफ बड़ौदा ने रोटोमैक ग्लोबल के निदेशकों पर फर्जी दस्तावेजों के सहारे 616.69 करोड़ रुपए लोन लिया। उन्होंने कहा कि इस साजिश में बैंक के भी कुछ अधिकारियों की मिलीभगत हो सकती है।
शुरुआत में अनुमान लगभग 800 करोड़ रुपये के घोटाले का था, लेकिन सीबीआई जब कोठारी के कानपुर स्थित ठिकानों पर छापा मारने पहुंची तो पता चला कि वे बैंक ऑफ बड़ौदा समेत सात बैंकों से कुल 2,919 करोड़ रुपए ले चुके हैं। ब्याज समेत यह रकम बढ़कर अब 3,695 करोड़ रुपये हो गई है। दूसरी तरफ ईडी ने भी सीबीआई की एफआईआर को आधार बनाते हुए केस दर्ज कर लिया है। ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि विक्रम कोठारी की संपत्तियों का पता लगाकर आकलन का काम शुरू कर दिया गया है। बताया जाता है कि कोठारी के दिल्ली स्थित आवास को सील कर दिया गया है। (एजेंसी)